प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत की विरासत में इतिहास के साथ विज्ञान भी शामिल है। हमारी विरासत बेहतरीन इंजीनियरिंग यात्रा की गवाह है। उन्होंने कहा कि भारत इतना प्राचीन है कि यहां का हर बिंदु किसी गौरवशाली अतीत की कहानी कहता है। भारतीय सभ्यता का इतिहास आम समझ से कही अधिक पुराना और व्यापक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बात भारत मंडपम में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र की शुरुआत करते हुए कही। भारत पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक की मेजबानी कर रहा है। यह समिति विश्व विरासत से जुड़े सभी मामलों के प्रबंधन और विश्व विरासत सूची में शामिल किए जाने वाले स्थलों पर निर्णय लेती है। प्रधानमंत्री ने गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर सभी नागरिकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, भारत का दुनिया से आह्वान है कि एक-दूसरे की विरासत को बढ़ावा दें। इस अवसर पर यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अजोले उपस्थिति रहीं।
350 कलाकृतियां वापस लाई गईं विदेश से वापस लाई गईं कलाकृतियों के बारे में बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, हाल के दिनों में 350 से अधिक विरासत वस्तुएं वापस लाई गई हैं। उन्होंने कहा कि विरासत कलाकृतियों की यह वापसी वैश्विक उदारता और इतिहास के प्रति सम्मान का प्रदर्शन है।
‘मैदाम’ सूची के लिए नामित प्रधानमंत्री ने कहा, पूर्वोत्तर भारत के ऐतिहासिक ‘मैदाम’ को यूनेस्को की लोकप्रिय विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए नामित किया गया है। यह भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल है और सांस्कृतिक विश्व धरोहर का दर्जा पाने वाला पूर्वोत्तर भारत का पहला धरोहर स्थल है।
दिल्ली स्थित लौह स्तंभ का उदाहरण दिया प्रधानमंत्री ने राजधानी दिल्ली का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, दिल्ली हजारों वर्षों की विरासत का केंद्र है। यहां हर कदम पर विरासत और इतिहास देखने को मिलता है। उन्होंने दो हजार साल पुराने ‘लौह स्तंभ’ का उदाहरण दिया, जो जंग प्रतिरोधी है और अतीत में भारत के धातु को लेकर ज्ञान की झलक देता है।
केदारनाथ का जिक्र किया भारत की विरासत को बेहतरीन इंजीनियरिंग की यात्रा की गवाह करार देते हुए उन्होंने 8वीं शताब्दी में बने केदारनाथ मंदिर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह मंदिर 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सर्दियों में लगातार बर्फबारी के कारण आज भी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थान बना हुआ है।
कार्यक्रम में मौजूद यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अजोले ने कहा कि भारत में इस बैठक का मकसद मानवता की अमूल्य विरासत को संरक्षित करना, बढ़ावा देना और भावी पीढ़ियों तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि हम हालिया वर्षों में कंबोडिया के प्राचीन मंदिर सहित दुनिया भर में संरक्षण परियोजनाओं पर एएसआई के साथ काम करके खुश हैं। कार्यक्रम में मोदी के साथ मंच पर विदेश मंत्री एस जयशंकर और केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित अन्य प्रमुख लोग मौजूद थे।
यूनेस्को के विश्व धरोहर केंद्र के लिए दस लाख डॉलर देगा भारत’
पीएम मोदी ने कहा, ‘धरती हमारी मां है और हम उसकी संतान हैं। इसी विचार को लेकर भारत इंटरनेशनल सोलर अलायंस और मिशन लाइफ जैसे समाधान दे रहा है। पीएम मोदी ने कहा, ‘यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर के लिए भारत 1 मिलियन डॉलर का योगदान देगा।’